केंद्रीय कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु 60 साल ही रहेगी – सरकार का बड़ा अपडेटसरकार ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में कोई बदलाव नहीं हुआ है, 60 वर्ष की उम्र ही लागू रहेगी। फर्जी नोटिस से रहें सावधान। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर एक नोटिस तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया गया कि केंद्रीय कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है और यह नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। कई लोगों ने इसे सच मानकर शेयर करना शुरू कर दिया। लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया है कि यह नोटिस पूरी तरह फर्जी है और सरकार ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है।
सरकार का आधिकारिक बयान
जितेंद्र सिंह ने कहा कि सेवानिवृत्ति आयु में किसी तरह का बदलाव न तो किया गया है और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन है। उन्होंने यह भी बताया कि अलग-अलग विभागों में रिटायरमेंट की अधिकतम आयु अलग होती है, लेकिन अधिकांश केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यह सीमा अभी भी 60 वर्ष है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पदों को खत्म करने की कोई योजना नहीं है, इसलिए नई भर्तियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। यह खबर युवाओं के लिए भी सकारात्मक है जो सरकारी नौकरी में आने की तैयारी कर रहे हैं।
कर्मचारी संगठनों की मांग
विभिन्न कर्मचारी संगठन लंबे समय से सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि आज की जीवन प्रत्याशा पहले से अधिक है और 60 वर्ष की उम्र में भी अधिकांश लोग शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं।
कुछ आर्थिक कारण भी दिए जाते हैं, जैसे कि रिटायरमेंट की आयु बढ़ाने से सरकार पर पेंशन का बोझ कम होगा। हालांकि, केंद्र सरकार ने अब तक इस पर कोई औपचारिक विचार नहीं किया है। न तो राष्ट्रीय परिषद और न ही किसी अन्य समिति से इस संबंध में कोई प्रस्ताव आया है।
अलग-अलग विभागों में अलग नियम
यह जानना जरूरी है कि सभी विभागों में रिटायरमेंट की उम्र एक जैसी नहीं होती। कुछ में यह 60 वर्ष है, तो कुछ विभागों (जैसे कि न्यायपालिका या सशस्त्र बल) में अलग नियम लागू होते हैं। अगर कोई कर्मचारी स्वेच्छा से समय से पहले रिटायरमेंट लेना चाहता है, तो उसे विभागीय मानकों और शर्तों का पालन करना होता है।
फर्जी खबरों से बचें
सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर वायरल हो रही किसी भी जानकारी पर बिना आधिकारिक पुष्टि के भरोसा न करें। ऐसे फर्जी नोटिस अक्सर लोगों को गुमराह करने के लिए फैलाए जाते हैं।
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